पशुओं के चयन की विधियाँ
पशुओं के चयन की 5 विधियों है, जो निम्न है
1. व्यक्तिगत चयन (Individual Selection )
2. वंशावली या पारिवारिक चयन (Parental Selection )
3 गुणांकन तालिका (Score card selection)
4.प्रदर्शन चयन ( Show ring selection)
5. संतति परीक्षण / आनुवांशिक / जिनोटाइप वरण (Progeny / Genetic / Genotype Selection )
1. वैयक्तिक चयन (Individual Selection ) :
> चयन की इस विधि में पशु के मात्रात्मक व गुणात्मक लक्षणों के आधार पर पशुओं चयन किया जाता है।
2. वंशावली या पारिवारिक चयन (Parental Selection) :
> पशु के पूर्वजों का वंशावली अभिलेख देखकर, पशु का चयन किया जाता पशु चयन की इस विधि में कम उम्र के पशुओं का चयन किया जाता है
3. गुणांकन तालिका (Score card selection) :
> पशुओं के चयन की सबसे उपयुक्त व सर्वश्रेष्ठ विधि है।
> इस विधि में पशु के विभिन्न भागों के निर्धारित अंकों के आधार पर पशु का चयन करते है।
पशु अंक निम्न प्रकार है :
> डेयरी गुण :-
20 अंक > सामान्य से 50 अंक वाला
पशु सर्वोतम श्रेणी :- 76 से 100 अंक वाला पशु
सामान्य स्वरूप :- 30 अंक
दुग्धम गुण:- 30 अंक
शरीर क्षमता :- 20 अंक
अंको के आधार पर पशु को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है
1.उत्तम =51 से 75 अंक लाने वाला पशु
2. सर्वोत्तम=76 से 100 अंक लाने वाला पशु
4.प्रर्दशन वृत चयन ( Show ring selection) :
पशु चयन की इस विधि में किसी मेले या प्रर्दशनी में विजेता पशु का चयन किया जाता है ।
5. संतति / आनुवांशिक / जिनोटाइप ( Progeny test / Genetic / Genotype Selection) :
इस विधि में नर पशु या सांड का चयन किया जाता है
सर्वाधिक खर्चीली विधि है
पशु चयन में अधिक समय लगता है ।
पशुओं में सींगरोधन (Dehorning / Disbudding)
पशुओं मे सींगरोधन की 5 विधियाँ है
1. रासायनिक विधि :
> सींगरोधन की सबसे सर्वश्रेष्ठ व उपयुक्त विधि है ।
> इस विधि में NaOH या KOH रसायन की छड़ का प्रयोग किया जाता है।
इस विधि में सींगरोधन 7 से 15 दिन या 1 से 2 सप्ताह की आयु पर किया जाता है।
2. गर्म छड द्वारा
> यह सुरक्षित विधि नहीं है।
पशु में कीडे पडने का भय रहता है।
7 से 15 दिन या 1 से 2 सप्ताह की आयु पर सींगरोधन किया जाता हैं ।
3.डिहॉर्नर विधि
इस विधि में डिहॉर्नर नामक यंत्र को 1000 °F तापमान पर गर्म करके सींग कलिका पर रखा जाता है। इससे कोशिकाये मृत हो जाती हैं तथा उनकी वृद्धि रूक जाती है और सींगरोधन हो जाता है। 7 से 15 दिन या 1 से 2 सप्ताह की आयु पर यह विधि अपनायी जाती है।
4. इलस्ट्रेटर या रबर बेण्ड विधि :
> यह विधि 10 सेमी. तक लम्बे सींग वाले पशुओ में अपनायी जाती है। इस विधि में सींगरोधन में 3 से 6 सप्ताह का समय लगता है। इस विधि में सींगरोधन के लिये पशु की आयु निश्चित होना आवश्यक नहीं है।
5. आरी द्वारा :
इस विधि का उपयोग अधिक उम्र वाले व बडे सींग वाले पशुओं में किया जाता है। इस विधि में भी सींगरोधन हेतु पशु की आयु निश्चित नहीं होती है।
नर पशुओं में नसंबदी या वेसेक्टोमाइजेशन
नर पशु की शुक्रवाहिनी को हटा देना ताकि संम्भोग के समय वीर्य का स्खलित न हो सके ।
नस बधियाकृत नर पशु (सांड) :― टीजर बुल
उपयोग :- मादा पशु मे मदकाल की पहचानने के लिये ।
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